सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य -
सम्राट चंद्रगुप्त ने मौर्य वंश कि स्थापना कि थी। सम्राट चन्द्रगुप्त भारतवर्ष के एक कुशल शासक माने जाते है। चंद्रगुप्त ने कई वर्षो तक शासन किया। चन्द्रगुप्त एक ऐसे शासक थे जो समूचे भारत को एकिकृत करने में सफल रहे थे। चंद्रगुप्त अपने दम पर पुरे भारत पर शासन किया। उस समय पूरे भारत देश में छोटे-मोटे राजा हुआ करते थे ,जो कि यहां वहां शासन कर रहे थे ,तथा उस समय भारतीय लोगों व राजाओं में एकजुटता नहीं थी , सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अपना शासन कश्मीर से लेकर दक्षिण के दक्कन तक, तथा पूर्व के असम से पश्चिम के अफगानिस्तान तक फैलाया था।
भारत देश के अलावा सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य अपने पड़ोसी देशों में भी शासन किया करते थे। इनके बचपन के बारे में ज्यादा कोई नहीं जानता है। ऐसा कहा जाता है कि वे मगध के वंशज थे। यह युवा अवस्था से ही तेज बुद्धिजीवी थे, चंद्रगुप्त में एक सफल सच्चे शासक के पूरे गुण विद्यमान थे। जिसे आचार्य चाणक्य ने पहचाना और उन्हें राजनीतिक व सामाजिक शिक्षा दी।
चंद्रगुप्त का जन्म 345 ई.पू. पिपलीवन गणराज्य वर्तमान गोरखपुर क्षेत्र , उत्तर प्रदेश में हुआ था, इनका पूरा नाम चंद्रगुप्त मौर्य था पिता का नाम चंद्रवर्धन मौर्य तथा माता का नाम मुरा था। इनकी दो पत्नीयां थी एक का नाम दुर्धरा महापदमनंद की बेटी और दूसरी हेलेना सेल्यूकस निकेटर की पुत्री थी । इनके तीन बेटे थे बिंदुसार, अशोका, सुसीम थे। पीतासोका पोता था। मृत्यु 298 ईसा पूर्व (उम्र 47–48) श्रवणबेलगोला, कर्नाटक में हुई।इनको जैन धर्म कि मान्यता के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रवणबेलगोला कर्नाटक मैसूर चन्द्रगिरि पर्वत में दफन किया गया।
चन्द्रगुप्त मौर्य शुरूआती जीवन –
चन्द्रगुप्त मौर्य के परिवार के विषय में सटीक जानकारी कहीं नहीं मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि वे सम्राट चंद्रवर्धन व उनकी पत्नी रानी मुरा के बेटे थे। कुछ लोग कहते है कि वे मौर्य परिवार के थे, जो क्षत्रीय थे। कहते है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के दादा की दो पत्नियाँ थी, एक पत्नी से उन्हें 9 बेटे थे, जिनको नवनादास कहते थे। तथा दूसरी पत्नी से उन्हें चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता बस थे, जिनको चंद्रवर्धन कहते थे। नवनादास अपने सौतले भाई से ईर्ष्या रखते थे। ईर्ष्या के चलते वे चंद्रवर्धन को मारने की कोशिश करते थे।
सम्राट चंद्रवर्धन के चन्द्रगुप्त मौर्य को मिला कर कुल 100 पुत्र थे। जिनको नवनादास मार डालते है ,बस चन्द्रगुप्त मौर्य किसी तरह जान बचाकर भाग जाते है ,और मगध के साम्राज्य में जाकर रहने लगते है। यही पर उनकी मुलाकात आचार्य चाणक्य से होती है। जिनसे मिलने के बाद से उनका जीवन बदल जाता हैं। आचार्य चाणक्य ने उनके गुणों तथा दूरदर्शीता को पहचाना और तक्षशिला विद्यालय ले गए और वहां पर उनको शिक्षा और दीक्षा देने लगे । आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को हर शिक्षा, प्रत्येक गुणों में तथा सभी राजनीतिक कलाओं तथा शासन के नियमों में पारंगत किया तथा एक शासक के सारे गुण सिखाए।
सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की पहली पत्नी रानी दुर्धरा थी। जिनसे उन्हें बिंदुसार नाम का बेटा उत्पन्न हुआ। तथा उनकी दूसरी पत्नी रानी हेलना थी। देवी हेलेना का एक मात्र पुत्र जस्टिन था। ऐसा कहते है कि सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की दुश्मन से रक्षा करने के लिए आचार्य चाणक्य उनके रोज के खाने में थोडा थोडा जहर मिलाकर देते थे। जिससे उनके शरीर मे जहर की प्रतिरोधक छमता आ जाये और उनके शत्रु उन्हें किसी भी तरह का जहर न दे पाए।
यह खाना सम्राट चन्द्रगुप्त अपनी पत्नी दुर्धरा के साथ बाटते थे । लेकिन एक दिन उनके शत्रुओं ने वही जहर अधिक मात्रा मे उनके खाने मे मिला दिया। उस समय उनकी पत्नी दुर्धरा गर्भवती थी ,वह खाना खाकर दुर्धरा इसे सहन नहीं कर पाती है और मर जाती है, लेकिन आचार्य चाणक्य समय पर वहां पहुँच कर उनके बेटे कि जान बचा लेते है। बिंदुसार को आज भी उनके बेटे अशोका के लिए बडे गर्व से याद किया जाता है।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना (Establishment Mourya Empire) –
अगर देखा जाए तो मौर्य साम्राज्य खड़ा करने का पूरा श्रेय आचार्य चाणक्य को जाता है। चंद्रगुप्त मौर्य से चाणक्य ने वादा किया था। कि वे उसे उसका हक किसी भी दशा में दिला कर रहेंगें। चाणक्य जब तक्षशिला में अध्यापक थे। उसी समय अलेक्सेंडर भारत में हमला करने की तैयारी में जुटा था। अलेक्सेंडर के सामने तक्षशिला के राजा, व गन्धार नरेश दोनों ने घुटने टेक दिए थे ।
आचार्य चाणक्य ने भारत देश के सभी राजाओं से सहायता मांगी। पंजाब प्रांत के राजा पर्वेतेश्वर ने अलेक्सेंडर को युद्ध के लिए आमंत्रण दिया और दोनों में भंयकर युद्ध हुआ, परन्तु पंजाब के राजा को हारना पड़ा । इसके बाद आचार्य चाणक्य ने अनेक साम्राज्य के शासकों से सहायता मांगी, लेकिन उन्होंने सहायता देने से मना कर दिया। इस घटना से प्रभावित होकर आचार्य चाणक्य ने निश्चय किया कि वे एक अपना नया साम्राज्य खड़ा करेंगे जो अंग्रेज हमलावरों से देश की सुरक्षा करेंगे । जिससे लिए उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को चुना, चंद्रगुप्त मौर्य में वो सारे गुण विद्यमान थे जिनकी चाणक्य को आवश्यकता थी। चाणक्य मौर्य साम्राज्य के प्रधानमंत्री कहे जाते थे।
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