भारत का प्रथम राजा कौन है ?,Who is the first king of India?

चन्द्रगुप्त मौर्य की जीत,Who stopped Alexander in India,chandragupta maurya ki jeet ) - 


चन्द्रगुप्त मौर्य ने अलेक्सेंडर को चाणक्य नीति के अनुसार चलकर ही पराजित किया था। इसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य एक शक्तिशाली शासक के रूप में सामने आ गए थे, इसके बाद अपने सबसे बड़े दुश्मन नंदा पर आक्रमण करने का निश्चय किया चंद्रगुप्त मौर्य ने। उन्होंने हिमालय के राजा पर्वत्का के साथ मिलकर राजा धना नंदा पर आक्रमण किया। 321 BC में कुसुमपुर में ये युद्ध हुआ जो कई दिनों तक चला और अंत में चन्द्रगुप्त मौर्य को विजय प्राप्त हुई । और उत्तर भारत का ये सबसे मजबूत साम्राज्य बनकर सामने आया । इसके बाद चन्द्रगुप्त ने उत्तर से दक्षिण की ओर अपना रुख किया, और बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर तक राज्य फ़ैलाने में लगे रहे। विन्ध्य को डक्कन से जोड़ने का जो सपना था उसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने सच कर दिखाया, दक्षिण का अधिकतर भाग मौर्य साम्राज्य के अन्तर्गत ही आता था।

Who is the first king of India 




इसके बाद 305 BC में चन्द्रगुप्त मौर्य ने पूर्वी पर्शिया में अपना साम्राज्य फैलाने कि सोची, उस समय वहां सेल्यूलस निकेटर का राज्य था, वह अलेक्सेंडर का जनरल भी रह चूका था। पूर्वी पर्शिया का बहुत सारा भाग चन्द्रगुप्त मौर्य जीत चुके थे, वे शांति के साथ इस युद्ध का अंत करना चाहते थे, अंत में उन्होंने वहां के राजा से संधि समझौता कर लिया और चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथों में सारा साम्राज्य आ गया। और साथ हि निकेटर ने अपनी बेटी की शादी भी चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दी। इस संधि विवाह के बदले उसे 500 हाथियों की विशाल सेना भी मिली, जिसे वह आगे होने वाले अपने युद्ध में उपयोग करते थे। चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल मौर्य साम्राज्य खड़ा कर दिया था, बस कलिंग (उड़ीसा) और तमिल इस साम्रज्य का हिस्सा नहीं थे । इन हिस्सों को बाद में उनके पोते अशोका ने अपने साम्राज्य में जोड़ दिया था।




चन्द्रगुप्त मौर्य का जैन धर्म की ओर झुकाव व म्रत्यु ,Death,How did Chandragupta died –


चन्द्रगुप्त मौर्य कि आयु जब 50 साल कि थी, तब उनका झुकाव जैन धर्म की तरफ सुरु हुआ, उनके गुरु भी जैन धर्म के महान उपासक थे जिनका नाम भद्रबाहु था। 298 BCE में उन्होंने अपना साम्राज्य अपने बेटे बिंदुसार को देकर कर्नाटक चले गए और जहाँ उन्होंने 5 हफ़्तों तक बिना खाए पिए ध्यान किया । जिसे संथारा कहते है। इस क्रिया को तब तक करते है जब तक आप मर ना जाओ। और इसी क्रिया द्वारा यही पर चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने प्राण त्याग दिये ।


चन्द्रगुप्त मौर्य कि मृत्यु के बाद उनके बेटे ने साम्राज्य आगे बढाया, जिसका साथ चाणक्य ने दिया। चन्द्रगुप्त मौर्य व चाणक्य ने मिल कर अपनी सूझबूझ वह कुटिल बुद्धि से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया था। उन्हें कई बार हार का भी सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपनी हार से भी कुछ सीखकर आगे बढ़ते गये। चाणक्य कि कूटनीति के चलते ही चन्द्रगुप्त मौर्य ने इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया था । जिसे आगे चलकर उनके पोते अशोका ने एक नए आयाम पर पहुँचाया था। चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान शासक योद्धा से आज कि नौजवान पीढ़ी बहुत सी बातें सीखती है,  बहुत सी पुस्तकें भी लिखी गई है, साथ ही चन्द्रगुप्त मौर्य टीवी सीरील भी आया था, जो बहुत पसंद किया गया।





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