भारत शासन अधिनियम-1919 (UPSC exam 2022)
इस अधिनियम को अधिनियमित करने का उद्देश्य यह था कि भारतीय लोग एक विशिष्ट पहचान व अपना प्रतिनिधित्व कायम कर सकें। इसी उद्देश्य को लेकर सन-1918 में राज्य सचिव एडविन सेमुअल मांटेग्यू ( Edwin Samuel Montagu ) और वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने संवैधानिक सुधारों की अपनी एक योजना तैयार की, जिसको मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड (या मोंट-फोर्ड) सुधार के रूप में जाना जाता है, जिस कारण सन- 1919 के भारत शासन अधिनियम को अधिनियमित किया गया था।
इसके बाद 1921 ई. में मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों को लागू किया गया। इस अधिनियम को अधिनियमित करने का एकमात्र उद्देश्य भारतीयों का शासन में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना था।
इस अधिनियम ने केंद्र के साथ-साथ प्रांतीय स्तरों पर शासन में सुधारों की शुरुआत की, तथा व्याव्स्था को सुदृढ़ किया ।
विषय-
इस अधिनियम के लागू होने के बाद ऐसे मामले जो राष्ट्रीय महत्त्व के थे या फिर एक से अधिक प्रांतों से संबंध रखते थे, या केंद्रीय सरकार द्वारा शासित थे, जैसे- विदेश मामले,राजनीतिक संबंध, रक्षा,सार्वजनिक ऋण, नागरिक और आपराधिक कानून, संचार सेवाएंँ आदि।
अधिनियम 1919 ई. के द्वारा केंद्रीय विधायिका को अधिक शक्तिशाली और जवाबदेह बनाया गया।
विषयों का विभाजन-
इस अधिनियम में विषयों को दो सूचियों में विभाजित किया गया था, 'आरक्षित' और 'स्थानांतरित'।
आरक्षित-
आरक्षित सूची में सम्मिलित विषयों का प्रशासन गवर्नर के द्वारा नौकरशाही की कार्यकारी परिषद के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित था।
'आरक्षित' विषय के अन्तर्गत कानून और व्यवस्था, वित्त, भू-राजस्व, सिंचाई आदि जैसे विषय शामिल थे।
इस प्रकार सभी महत्त्वपूर्ण विषयों को प्रांतीय कार्यकारिणी के आरक्षित विषयों में शामिल किया गया।
हस्तांतरित-
और हस्तांतरित विषयों को विधान परिषद के निर्वाचित सदस्यों में से मनोनीत मंत्रियों के द्वारा प्रशासन किया जाना था।
इस वर्ग में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय सरकार, उद्योग, कृषि, उत्पाद शुल्क आदि विषय शामिल थे।
अगर कभी प्रांत में संवैधानिक तंत्र विफल होता है तो इस स्थिति में गवर्नर हस्तांतरित विषयों का प्रशासन को भी अपने हाथ में ले सकता था।
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