अकबरनामा के लेखक कौन थे??

अकबरनामा -

हेलो दोस्तों आज हम आपको मुगल काल में लिखा गया इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ "अकबरनामा" के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं आखिर क्यों है ये इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ --

भारत के इतिहास में मुगल काल ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। जो कि स्थापत्य कला और शिल्प कला तथा साहित्य कला के अनेकों उदाहरण आज भारतीय संस्कृति को चार चांद लगा रहे हैं। जिसमें से एक कृति मुग़ल बादशाह अकबर महान के दरबारी विद्वान् या ग्रंथकार अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखा गया इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ  'अकबरनामा' है , जिसका शाब्दिक अर्थ हि है- "अकबर की कहानी"। 

यह इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ अकबर के शासन के समय में लिखा गया प्रामाणिक इतिहास है, क्योंकि अबुल फजल वहां के दरबारी थे। जिसके कारण उन्हें बहुत-सी बातों की निजी जानकारी थी, और उनका सरकारी दफ्तरों में आना जाना था जिससे सरकारी कागज़ों तक उनकी पहुँच थी। देखा जाए तो इसमें अकबर के साथ कुछ पक्षपात किया गया है, लेकिन फिर भी यह ग्रंथ तिथियों और भौगोलिक जानकारी के लिए विश्वसनीय है। जिससे मुगल काल के शासन व्यवस्था, परंपरा, कला, संस्कृति, समय तथा भौगौलिक आयामों के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है ।


भाषा तथा सामग्री:

अगर देखा जाए तो 'अकबरनामा' 'आईन अकबरी' का ही उत्तरार्ध है, जो कि अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई कृति है। मुगल शासन के समय में अबुल फ़ज़ल एक महान् गद्य लेखक थे। 'अकबरनामा' में दो हज़ार से अधिक पृष्ठ हैं, तथा इसकी जो मूल भाषा है , वो फारसी जटिल और आडम्बर पूर्ण है। 'आईन अकबरी' और 'अकबरनामा' में तत्कालीन  समय के इतिहास और समाज के विषय में इतनी अत्यधिक सामग्री इकट्ठा कर दी गई है, जिसको देखकर यह नहीं लगता कि यह साढ़े तीन सौ वर्ष पहले का ग्रंथ है।

कहते हैं कि अकबर ने जो साक्ष्य उपलब्ध कराये, उनमें राजस्थानी चारण-भाटों और ख्यातों बहियों, शिलालेखों आदि की सूचनाएं भी सम्मिलित थीं। इस प्रकार अबुल फ़ज़ल के वर्णन राजस्थान के लिए भी उपयोगी हैं।

'अकबरनामा' ग्रंथ को दो भागों में बांटा गया हैं, जो मुगल काल के तत्कालीन इतिहास की विभिन्न परिस्थितियों तथा तत्कालीन समाज के विषय में स्पष्ट विवरण प्रस्तुत करते हैं। अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई यह कृति ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही मूल्यवान है। इसके दो भागों के विवरण ------

  1.  'अकबरनामा' के पहले भाग में बाबर, हुमायूँ आदि के बारे में लिखते हुए इतिहास को अकबर के 17वें सनजलूस (1573 ई.) तक लाया गया है।
  2. तथा इसके दुसरे भाग में 18वें सनजलूस से 46वें सनजलूस (1601 ई.) तक की बातें हैं।


नया संस्करण --

"बादशाह अकबर"

लेखक - डॉ. मथुरा लाल शर्मा



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